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लेखनी प्रतियोगिता -13-Jul-2022

बरसो मेघा सावन आया

रह न जाए कोई आस अधूरी
पिया मिलन की बात अधूरी
सावन के गीतों ने समा सजाया
अब तो बरसो मेघा सावन आया

घनघोर घटा ये काला बादल
बैरी ताप और बहता काजल
चपल चंचला ने अरमान सजाया
अब तो बरसो मेघा सावन आया

पुरवाई ने की है अगुवाई 
ॠतु हरियाली की है आई
धरा ने अपना आंचल फैलाया 
अब तो बरसो मेघा सावन आया

श्यामल श्यामल नभ की आभा
प्यासे अधरों में प्रेम गीत समाया
श्रृंगार गाए अब विरहन बावरिया 
अब तो बरसो मेघा सावन आया

प्रेम पीड़ा सही न जाए
रात नशीली मुझको तडपाए 
प्रेम का पान करने को मन हर्षया 
अब तो बरसो मेघा सावन आया

चातक कोई तरस रहा है
मयूर नृत्य को तरस रहा है
आषाढ गया प्रेम का मौसम आया
अब तो बरसो मेघा सावन आया

न रहे अब कोई मन प्यासा
हर तन की अब अगन बुझा जा
नील गगन में बादल छाया
अब तो बरसो मेघा सावन आया

श्वेता दूहन देशवाल 
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश 

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9 Comments

shweta soni

14-Jul-2022 11:24 PM

Nice 👍

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Rahman

14-Jul-2022 10:19 PM

👌👌👌👌

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Punam verma

14-Jul-2022 04:20 PM

Very nice

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